आधुनिक बिहार का निर्माण 100% Free PDF/ Adhunik Bihar Ka Nirman PDF

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आधुनिक बिहार का इतिहास के बारे में आपको बताने जा रहे हैं आप सबको साथ ही साथ आपको इसका PDF भी दे रहे है। ता की आप सबको और भी आसानी हो पढ़ने में ।

भौगोलिक रूपरेखा=

अवस्थितिभारत के उत्तर-पूर्वी भाग के निम्न और मध्य गंगा बेसिन मेंअवस्थित है।
भौतिक स्थितिअंक्षाशीय 24°20’10” से 27°3115 उत्तरी तक देशांतरीय 83-1950″ से 88°17’40″देशांतर तक
ज्यामितीय आकार आयताकार
समुद्र तल से ऊंचाई 173 फीट (33 मीटर)
क्षेत्रफल994,163 वर्ग किमी. (93.4 लाख हेक्टेयर
भारत के कुल क्षेत्रफलका हिस्सा2.86 प्रतिशत
क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में स्थान13वीं (तेलंगाना राज्य के गठन के पश्चात क्षेत्रफल की दृष्टि से भारतीय राज्यों में बिहार का स्थान 13वीं हो गया है
लम्बाई345 किमी. (उत्तर से दक्षिण)
चौड़ाई483 किमी. (पूर्व से पश्चिम)
ग्रामीण क्षेत्रफल92.257 51 वर्ग किमी.

सीमाएँ=

उत्तर मेंनेपाल
दक्षिण मेंझारखंड
पूर्व मेंपश्चिम बंगाल
पश्चिम मेंउत्तर प्रदेश

राजकीय प्रतीक=

राजकीय चिनाबोधि वृक्ष
राजकीय भाषाहिंदी
दित्तीय राजकीय भाषाउर्दू
राजकीय पशुबैल
राजकीय पक्षीगौरेया
राजकीय वृक्षपीपल
राजकीय पुष्पगेंदा फूल
राजकीय मछलीमागूर

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बिहार का नामकरण कब कैसे=

बौद्धकाल में मगध का क्षेत्र पवित्र बौद्ध स्थलों मठों, शिक्षण केंद्रों आदि के लिए प्रसिद्ध था। तात्कालिक समय में बौद्ध स्थलों के दर्शन करने की परम्परा थी। पवित्र बौद्ध स्थलों की दर्शन-यात्रा (तीर्थ) को विहार कहा जाता था। बौद्धकाल से पूर्व जैनकालीन बिहार में भी विहार करने की प्रथा थी।

24वें तीर्थंकर महावीर ने मगध, वैशाली, अंग, विदेह के चैत्यालयों का विहार किया था तत्कालिक जैन आवक भी इन क्षेत्रों में विहार करते थे। विहार करने की प्रथा बौद्ध काल में भी बनी रही। आज जहाँ बिहारशरीफ है, वहाँ 8वीं शताब्दी में पालवंशीय मगध सम्राट गोपाल द्वारा उदंतपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।

यह नालंदा विश्वविद्यालय की तरह की एक प्रमुख शिक्षण केंद्र था। 12 वीं शताब्दी के अंत में लगभग 1198 ई. में इख़्तियारूद्दीन इने बख्तियार खिलजी के पुत्र मोहम्मद ने उदंतपुरी विश्वविद्यालय सहित सभी बौद्ध स्थलों मठों आदि को तहस-नहस करते हुए पूरे क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था।

बख्तियार खिलजी ने अपना प्रशासनिक मुख्यालय उसी बौद्ध संस्कृति क्षेत्र में स्थापित किया।

बख्तियार खिलजी बनारस और अवध क्षेत्र के सेनापति मल्लिक हुसामुद्दीन का एक सहायक था।

प्रशासनिक मुख्यालय के आस-पास फैले बौद्ध विहारों को तुर्क मुसलमानों ने ‘अर्जे बिहार (विहारों की भूमि) की संज्ञा दी। तुर्क शासनकाल में यह एक प्रांतीय प्रशासनिक मुख्यालय रही थी।

तुर्क शासकों को शरीफ शब्द से अलंकृत किया गया था।

अरबी शब्द ‘शरीफ का अर्थ है प्रतिष्ठित प्रतिष्ठित जन आदि। जैसे- कुरान शरीफ, मक्का शरीफ आदि। तुर्क शासनकाल में ‘अर्जे बिहार को बिहार शरीफ: कहा जाने लगा। ‘बिहार’ नाम का उल्लेख सर्वप्रथम मिन्हाज उस सिराज द्वारा 1203-4 में लिखी गई पुस्तक ‘तबकात-ए- नासिरी’ में मिलता है।

तुर्क शासन काल में ही प्रशासनिक मुख्यालय ‘बिहार’ के स्थान पर ‘बिहार’ कहा जाने लगा था।

यह बाद के शासनकाल में भी बनी रही। 1541 ई. में शेरशाह ने प्रशासनिक मुख्यालय बिहारशरीफ से पटना में स्थानांतरित कर दिया।

राजधानी पटना स्थानांतरित करने से पूर्व उसने पटना में एक दुर्ग का निर्माण करवाया था।

पटना को राजधानी बनाने की चर्चा अब्दुल्लाह की पुस्तक तारीखे दाऊदी’ में मिलती है।

परन्तु शेरशाह का शासित क्षेत्र ‘बिहार’ ही कहलाता रहा। विद्यापति द्वारा 1309 ई. में रचित कृतिमाला में भी ‘बिहार’ शब्द का उल्लेख मिलता है। मुगलकाल में शासित क्षेत्र को सूबा-ए-बिहार की संज्ञा दी गई।

बिहार सूबा (प्रान्त) के लिए एक सूबेदार का पद भी सृजित किया गया था।

सूबेदार बिहार सूबा का प्रमुख होता था । “सूबा बिहार शब्द की प्रथम जानकारी 12 वीं सदी की अबू उमर मिन्हाजुद्दीन उस्मान बिन सिराजुद्दीन जूजजानी की पुस्तक तबकातें नासिरी से होती है।

पटना को राजधानी बनाकर जिस बिहार सूबा (प्रान्त) का निर्माण शेरशाह ने किया था उस प्रान्त का विस्तार करते हुए अकबर ने सूबा बिहार का एक परिपक्व नक्शा तैयार करवाया। कम्पनी शासन काल के दौरान भी सूबा शब्द का ही प्रयोग होता रहा था। परन्तु स्वतंत्रता आंदोलन के समय से सूबा को प्रान्त कहा जाने लगा था ।

आधुनिक बिहार राज्य का गठन=

मुगलों की शासन व्यवस्था जब अंग्रेजों की इस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों में चली गई तब कम्पनी सरकार ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बिहार-बंगाल तथा उड़ीसा को मिलाकर एक संयुक्त प्रान्त का गठन किया और कलकता को देश की राजधानी बनाया। इससे बिहार में साम्राज्यवादी पसन्द बंगालियों का वर्चस्व स्थापित हो गया। वे बिहारियों के प्रति भेद-भाद बरतने लगे जिससे शिक्षित बिहारियों में प्रतिक्रिया हुई। बिहार, बिहारियों का है. की भावना प्रबल हो उठी। बिहार को बंगाल से अलग करने संबंधी आंदोलन शुरू हो गया। अंग्रेजों ने भी इस संबंध में विचार-विमर्श शुरू कर दिया। 12 दिसम्बर, 1911 को इंग्लैण्ड के सम्राट जार्ज पंचम का शाही दरबार दिल्ली में आयोजित हुआ। इस शाही दरबार में बिहार (उड़ीसा सहित) प्रान्त बनाने की घोषणा कर दी गई।

स्थापना दिवस 22 मार्च=

22 मार्च, 1912 को बिहार (उड़ीसा सहित) प्रान्त गठित करने सम्बन्धी विधिवत घोषणा (अधिसूचना जारी) की गयी। इसलिए 22 मार्च को बिहार राज्य का स्थापना दिवस, बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। बंगाल – बिहार – उड़ीसा संयुक्त प्रान्त से बंगाल को अलग कर देने के पश्चात बिहार (उड़ीसा सहित) सरकार की सचिवालय ने 1 अप्रैल, 1912 से कार्य शुरू कर दिया।

1 अप्रैल, 1936 को बिहार और उड़ीसा दोनों अलग राज्य के रूप में आए।

भारत के पुनर्गठन के कारण बिहार राज्य का स्वरूप बदला । 1 नवम्बर, 1956 को बिहार के बंगलाभाषी क्षेत्र पुरूलिया और किशनगंज को पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया।

15 नवम्बर, 2000 को बिहार के दक्षिणी भाग के 46 प्रतिशत भू-भाग को अलग झारखण्ड राज्य का निर्माण किया गया।

इस तरह, 15 नवम्बर, 2000 से बिहार का वर्तमान स्वरूप है।

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